Sunday, February 16, 2014

बचपन



इस दुनिया में छिपी 
एक और दुनिया है 
जिस दुनिया में कोई 
क़ायदा नहीं होता 
बस प्यार होता है 
आँखों में मासूमियत होती है 
असीम विश्वास होता है 
निहीत स्वार्थ और 
फ़ायदा नहीं होता 


यहाँ शेर को बचाता एक चूहा है 
ख़रगोश को हराता एक कछुआ है 
हमारी दुनिया की तरह कोई 
भेड़ की खाल ओढ़े 
भेड़िया नहीं होता 


इस दुनिया का हर शख्स 
क़बीर है 
जीता है बस 
इस एक पल को 
हमारी दुनिया कि तरह यहाँ कोई 
सिद्धान्तों का दिखावा नहीं होता 


बचपन एक दुनिया ही है 
ये कोई दौर नहीं होता 
क्योंकि दौर तो गुज़र जाते हैं 
पर बचपन कभी बूढ़ा नहीं होता 
बचपन कभी बूढ़ा नहीं होता 

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